Wednesday, September 22, 2010

गोलमाल है भाई सब गोलमाल है

(सुनील)
देश की प्रतिष्ठा को बचने वाले ठेकेदारों की नजरों में जरा सुनिए उनकी ही जुबानी राष्ट्रमंडल की कहानी-
घटनाएं एवं विवाद - माननीय देश के ठेकेदारों की जुबान
दिल्ली का फुट ओवर ब्रिज गिरा - राष्ट्रमंडल खेलों पर कोई असर नहीं
जामा मस्जिद पर आतंकी हमला - राष्ट्रमंडल खेलों पर कोई असर नहीं
खेलगांव तक पहुंचा पानी- राष्ट्रमंडल खेलों पर कोई असर नहीं
हर जगह मलबा ही मलबा - राष्ट्रमंडल खेलों पर कोई असर नहीं
आधी-अधूरी है तैयारियां - राष्ट्रमंडल खेलों पर कोई असर नहीं
स्टेडियमों का काम पूरा नहीं - राष्ट्रमंडल खेलों पर कोई असर नहीं
कई नामी गिरामी खिलाडी नहीं आएंगे भारत - राष्ट्रमंडल खेलों पर कोई असर नहीं
भिखारी तंग कर सकते हैं विदेशी मेहमानों को - राष्ट्रमंडल खेलों पर कोई असर नहीं
हर जगह खुदी पडी है दिल्ली - राष्ट्रमंडल खेलों पर कोई असर नहीं
थीम सांग नहीं आया लोगों को पसंद - राष्ट्रमंडल खेलों पर कोई असर नहीं
कई इवेंट किए जा सकते हैं रद्द - राष्ट्रमंडल खेलों पर कोई असर नहीं
कई देशों ने मांग की रद्द हो खेल - राष्ट्रमंडल खेलों पर कोई असर नहीं
और अंत में नहीं होंगे राष्ट्रमंडल खेल - कोई बात नहीं हम पर कौन सा असर पडने वाला है, हमें जो खेल(भ्रष्टाचार) खेलना था वो तो हमने खेल लिया अब बाकी का खेल नहीं भी हो तो हमारे सेहत पर कौन सा असर पडने वाला है।
जय भारत

Thursday, September 16, 2010

नेता बडा या गुरु, बखेडा काहे का

(सुनील) http://www.sunilvani.blogspot.com/

सुना है नेताजी ने गुरु का अपमान कर दिया, अरे भाई! नेता तो स्वार्थ की प्रतिमूरत है, उसके लिए किसी का मान क्या और अपमान क्या। वैसे भी वे गुरु तो केवल गिने-चुने के ही होंगे, नेता तो पूरे देश का है तो सबसे बडा गुरु इस लिहाज से तो नेता ही हुआ न। आप लोग भी छोटी सी बात का बखेडा खडा कर देते हैं। हैं तो भारतीय ही न, आदत तो भारतीयों वाली ही रहेगी। नेता(गिल) ठहरा आई-पिल, प्रभावशाली तो होगा ही। अब फोटो में अदना सा गुरु दिखेगा तो गिल का आई-पिल जैसा प्रभाव कहां रहेगा। वैसे भी जिसको प्रतिक्रिया देना चाहिए था, वो तो चुपचाप मुस्कुराता रहा, विश्वास न हो तो अखबारों में छपे फोटो का देख लीजिएगा। फिर भला हम क्यों अंगुली करने पर तुले हुए हैं। एक ठहरा विश्व विजेता तो दूसरा ठहरा देश का नेता, दोनों एक-दूसरे में अपना लाभ देख रहे थे लेकिन मीडिय वालों को तो आजकल बखेडा करने के अलावा कुछ सूझ ही नहीं रहा है। अखबारों में छपे फोटो को देखिए शिष्य के चेहरे पर क्या चमक है। गुरु के अपमान का अफसोस तो बाद में भी होता रहेगा।
और अंत में- गुरु तो कुम्हार ही रहेगा, शिष्य को कुंभ बनाता ही रहेगा।
गुणगान तो उसका होना चाहिए जो उस कुंभ में तरह-तरह का खजाना डालेगा।

Thursday, September 9, 2010

राष्ट्रमंडल खेलों का नहीं,सेक्स रैकेटों की तैयारियां पूरी

(सुनील) www.sunilvani.blogspot.com
दिल्ली में होने वाले राष्ट्रमंडल खेलों की तैयारियों में भले ही कितने उतार-चढाव आ रहे हों, काम के डेडलाइन पर डेडलाइन खत्म हो रहे हैं लेकिन काम नहीं खत्म हो रहे हैं। ऐसे में राजधानी का एक तबका ऐसा भी जिसने राष्ट्रमंडल खेलों से पहले अपनी सभी तैयारियां पूरी कर ली है। जी हां, मैं बात कर रहा हूं सेक्स रैकेट का धंधा चलाने वाले वर्करों की। इन्होंने बकायदा वेबसाइट(जैसे रितीदेसाईडॉटकॉम) और न जाने इन जैसे अनेक साइटों ने अपनी तैयारियों को लोगों तक पहुंचाने के लिए ईमेल का सहारा लिया है। इन वेबसाइटों में उन तक संपर्क करने से लेकर आपकी पसंद तक विशेष ख्याल रखा गया है। हाई प्रोफाइल, मॉडल्स से लेकर कॉलेज गर्ल हर तरह की लडकियां उपलब्ध कराने वाले इस वेबसाइट ने कीमतों के साथ भी किसी प्रकार का कोई समझौता नहीं किया है। घंटे और रात के हिसाब से हर तरह के कीमत इस वेबसाइट पर दर्शाए गए हैं। 15 हजार से कम में बात करने वाले लोगों से इस वेबसाइट ने पहले ही हाथ जोड लिए हैं। अब आप खुद ही सोच सकते हैं कि यह वेबसाइट किन लोगों के लिए तैयार की गई है। राष्ट्रमंडल खेलों में धनाढय वर्ग भले ही अपनी रूचि न दिखाए लेकिन ऐसे वेबसाइटों पर अपनी दिलचस्पी बखूबी दिखा रहे होंगे। वैसे भी गेम्स में इतने बडे पैमाने पर हुए भ्रष्टाचार के पैसों का इस्तेमाल कहीं और तो होना ही था, सो कुछ लोगों के लिए इससे अच्छा इंवेस्टमेंट कुछ और हो भी नहीं सकता है। खैर इस प्रकार का धंध चलाने वालों ने तो अपनी तैयारियां पूरी कर ली है, लेकिन हम मौन क्यों हैं। मीडिया, सरकार, प्रशासन सभी ने चुप्पी क्यों साध रखी है? शायद इसलिए कि बहती गंगा में हाथ धोने का मौका उन्हें भी मिल जाए?