आतंकवाद नहीं, पहले नक्सलवाद से देश को बचाओ
निर्दोषों को मौत की नींद सुलाने वाले उन कायरों से बचाओ
हर पल मौत के साए में जीने वाले आम जनता को बचाओ
शांति को भंग करने वाले मौत के सौदागरो से बचाओ
छिपकर वार करने वाले उन दुष्टों से बचाओ
विकास के नाम पर मासूमों की हत्या करने वालों से बचाओ
अपने विचार, अपने मकसद खोते जा रहे इन नक्सलवादियों से बचाओ
बचाओ इन खून खराबा करने वालों से देश को बचाओ
नक्सलवादी आम आदमियों को निशाना बनाने का जो कुकृत्य कर रहे हैं, उसकी हम सभी देशवासियों को घोर निंदा करनी चाहिए और किसी भी तरीके से हमें इनका समर्थन नहीं करना चाहिए। इनका मकसद चाहे जो भी हो लेकिन इनके वाहियात तरीके को उचित नहीं ठहराया जा सकता। आतंकवाद से लत्रडने के लिए जिस तरह से हममें एकजुटता नजर आती है वैसी ही एकजुटता क्यों नहीं जनर आ रही है? क्यों आप-हम चुप बैठे हैं? क्यों कहीं से विरोध के स्वर नहीं उठ रहे हैं? क्यों नक्सलवाद में शिकार हुए लोगों के लिए कैंडल मार्च नहीं निकाल रहे हैं? आखिर क्यों... क्यों चुप हैं हम? क्योंकि ये हमारे घर के ही दुश्मन हैं!
Monday, May 31, 2010
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