Wednesday, June 2, 2010
अब हो रही हैं अपने सेहत की चिंता
पिंजडे के पंछी रे तेरा दर्द न जाने कोय.... । यह सच है कि किसी व्यक्ति की पीडा कोई और नहीं समझ सकता जबतक कि खुद इस पीड़ा से न गुजरना पडे। खबर है कि राठोड़ साहब को जेल की हवा रास नहीं आ रही है। उनकी सेहत बिगडती जा रही है। आज वे अपनी सेहत को लेकर दुहाई दे रहे हैं। जिसने अच्छे भले परिवार की सेहत बिगाड कर रख दिया। अपने बीमारी का रोना रो रहे हैं। क्या कभी ये भी सोचने की कोशिश कि पिछले एक दो दशक से एक पूरे परिवार की जिंदगी तुम्हारे कारनामों की वजह से कैसे बीमार हो गई। अपने रुतबे का गलत इस्तेमाल कैसे किया जाता है, इसका जीता जागता सबूत राठोड़ ने दे दिया है और आज जब अपने जिंदगी के कुछ पल जेल में गुजराने पड रहे हैं तो तिममिला उठे। वो परिवार किस तरह तिल-तिल कर जला होगा, जब गिहरोत्रा परिवार की बेटी ने तुम्हारी असहनीय पीडा से तंग होकर अपने आप को मौत के हवाले कर दिया। अगर अपने ओहदे का इस्तेमाल कर किसी मासूम की इज्जत की रक्षा की होती तो तुम्हारे ये मुस्कान में चार चांद लग गए होते, लेकिन इस कुकृत्य के बाद तुम्हारे चेहरे पर ये मुस्कान रावण की याद दिलाती है, जिसका दहन होना जरूरी है।
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