Monday, June 14, 2010

तुस्सी ग्रेट हो नेताजी



कहतें हैं नेता बयान देने में काफी माहिर होते हैं। किसी भी समस्या या आरोपों को लेकर पूछे गए सवालों पर वह बहुत ही बेबाकी से जवाब देकर अपनी और अपनी पार्टी को पाक साफ बताने की पूरी कोशिश करते हैं। अभी भोपाल गैस कांड का फैसला आने के बाद कई लोग कई तरह के बयान दे रहे हैं। हां, इस बार कुछ महारथी ऐसे भी हैं जो चुप रहने में ही अपनी भलाई समझ रहे हैं। लाशों के ढेर पर भी जिन्हें नींद आती हो उनसे और उम्मीद भी क्या की जा सकती है। उस पर भी कुछ लोग ऐसे हैं जो उस सोने वालों को अब उन लाशों का रखवाला बता रहे हैं। ऐसा ही एक बयान एक वरिष्ठ नेता का सुनने को मिला। जिसमें उन्होंने कहा है कि 'उनके पास और कोई विकल्प नहीं था, उस वक्त लोग गुस्से में थे और वारेन एंडरसन को बाहर निकालना अर्जुन सिंह का सही फैसला था।' वाह लज्जा नहीं आई, जब भारतीयों के जमीन पर भारतीय तडप-तडप कर मर रहे थे तो क्या लोगों को उस वक्त एंडरसन दिखाई पड रहा था और जिनको एंडरसन दिखाई पड रहा था वो तो उसे लोगों के लाशों पर चलकर उन्हें ससम्मान विदाई दे रहे थे। इतने लोगों को एक साथ मौत देना क्या आसान बात है, पल भर के लिए तो अच्छे से अच्छा जल्लाद भी कांप जाए। ऐसे में तो एंडरसन को पुनः वापस बुलाकर डी-लिट की उपाधि प्रदान करनी चाहिए थी। इनकी हरकतों को देखकर तो ऐसा लगता है कि इनके अंदर की इंसानियत तो बिल्कुल मर चुकी है। पीड़ित समुदाय तो इतनी बडी आपदा पहले ही झेल रही थी, दूसरा चोट फैसले ने दे दिया और रही सही कसर इन नेताओं के बयान ने पूरी कर दी। क्या हम भारतीय इतने कमजोर हैं जो किसी के दबाव के आगे इतने मजबूर हो जाते हैं कि अपने ही लोगों के लाशों पर चलकर एक अपराधी को जंग में जीते हुए सैनिक की तरह विदा करते हैं। स्थितियां तो उस समय भी बडी विकट रही होंगी जब आतंकियों ने ताज को निशाना बनाया था तो कसाब को भी क्यों पकडा। उसे भी बाइज्जत पाकिस्तान तक छोड कर आते।

1 comment:

  1. नमस्ते,

    आपका बलोग पढकर अच्चा लगा । आपके चिट्ठों को इंडलि में शामिल करने से अन्य कयी चिट्ठाकारों के सम्पर्क में आने की सम्भावना ज़्यादा हैं । एक बार इंडलि देखने से आपको भी यकीन हो जायेगा ।

    ReplyDelete